Delhi: गुजरात के गोधरा कांड मामले पर गृह मंत्रालय का एक फरमान आया है, इसकी आधार बनी है एसआईटी की Recommendation रिपोर्ट, ये रिपोर्ट उन 14 गवाहों की सुरक्षा से जुड़ी है जिन्होनें इस मामले में गवाही दी थी I
10 नवंबर 2023 को Recommendation रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सोपी थी, इन 14 गवाहों की सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ के 150 जावानो को सूप दिया गया था लेकिन अब गृह मंत्रालय की ओर से आदेश के बाद इन गवाहों की सुरक्षा हटा दी गई है I
गृह मंत्रालय से मिली रिपोर्ट के आधार पर ये फैसला किया गया है, गोधरा कांड पर बनी हुई 10 नवंबर 2023 को बैठें इन गावहो की रिपोर्ट हटाने की रिपोर्ट दी थी I
जिन गावहो की सुरक्षा हटाई गई है वो है,
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में बताया गया है कि गोधरा कांड या उसके बाद जो हिंसा हुई थी, हिंसा से जुड़े हुए 14 गवाहों की सुरक्षा को गृह मंत्रालय ने हटा दिया है, सुत्रो से मिली जानकारी के आधार पर SIT ने जो अपनी रिपोर्ट दी थी उसके आधार पर ये पूरा कदम उठाया गया है I
आपको बता दें कि 2009 में जब यूपीए की सरकार थी तो उस दूरां इन लोगो को सुरक्षा दी गई थी, ओर ये कह जा रहा था कि उसके पूरे इलाके में इनको काफी खतरा है, इस तरह की आधार पर सीआईएसएफ के 150 कमांडो लगाए गए थे जिनका 3 दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से ये जानकारी मिली है कि इन कमांडो को वहां से हटा दिया जाएगा I
केंद्र सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस के संसद ने आपत्ति जतायी ओर कहा, गवाहों को सुरक्षा देना केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारी है, सरकार को इसका जवाब देना होगा I
साल 2011 में सावरमती सेंट्रल जेल में 94 आरापियों पर मुकदमा चल रहा था, मुकदमा जेल के अंदर ही चल रहा था क्योंकि किसी को भी जेल से बाहर ले जाना सुरक्षित नहीं था, 2011 फरवरी में जब कोर्ट ने फैसला सुनाया तो मामले को 9 साल हो चुके थे, इस दरमियान फाइल हुई दर्जनो चार्जशीट, कॉन्सपिरेसी थ्योरी आई डॉक्यूमेंट्रीज बनी, जाच कमेटी की पोथी भर रिपोर्ट सामने आई I
जैसा कि आपको पता है कि 27 फरवरी 2002 के दिन गुजरात के गोधरा स्टेशन पर खड़ी साबरमती एक्सप्रेस में आग लगी थी जो कि अयोध्या से कार सेवकों को लेके लोट रही थी जिसके कोच नंबर S-6 में लगी आग से 59 लोग जिंदा जल गए थे, या उसके बाद देखते ही देखते पूरा गुजरात दंगो की आग में झूल गया मैं जाच के बाद पुलिस ने 94 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल की, शुरूआती सुनवाई में कोर्ट ने माना की ये हादसा कोई एक्सीडेंटल केस नहीं था बल्की एक सोची समझी साजिश थी, कोर्ट ने 11 आरोपियों को फांसी दी और 20 को अजीवन कIरIवास की सजा सुनाई बाकी 63 आरोपियों को बायइज्जत बैरी कर दिया गया, बैरी होने वालो में वो भी शामिल था जिसे पहले मुख्य आरोपी बनाया गया था मन्ना जा रहा था I
मामला हाई कोर्ट गया 2017 में गुजरात हाई कोर्ट ने भी इस केस में फैसला सुनाया था, बस फर्क इतना था कि जिन लोगों को पहले फासी की सजा सुनाई गई थी अब उनकी सजा को आजिवन करावास में बदल दिया गया था, 22 साल सजा का वक्त भी तय किया गया है पर अभी भी मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है I
#godhra #godhrakand #CISFsecurity #security #Witness #Amitshahongodhrakand #Narendramodi